Faridabad NCR
सूरजकुंड मेला की शान बढ़ा रही टीकमगढ़ की मूर्तियां
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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 16 फरवरी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में देश को नई पहचान दिला रहे सूरजकुंड शिल्प मेला में थीम स्टेट मध्य प्रदेश के शिल्पी भी किसी से पीछे नहीं रहना चाहते। इस बार थीम स्टेट के रूप में मेला की मेजबानी कर रहे मध्यप्रदेश के कलाकार अपनी कला एवं संस्कृति से यहां आने वाले हर पर्यटक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। मेले में मिल रही तमाम सुविधाओं के चलते शिल्पकार तहेदिल से हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी और विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद कुमार शर्मा का आभार प्रकट कर रहे हैं।
काबिलेगौर है कि पर्यटन विभाग द्वारा 38 वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 2025 का आयोजन गत 7 फरवरी से 23 फरवरी, 2025 तक किया जा रहा है। इस मेले में देश-विदेश के कलाकार और कारीगर ने अपनी कला और संस्कृति का सराहनीय प्रदर्शन कर पर्यटको की खूब वाहवाही लूट रहे हैं। वर्ष 2025 का यह मेला उड़ीसा और मध्य प्रदेश को समर्पित है, जहां उड़ीसा और मध्य प्रदेश की कला, संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रूप से प्रदर्शित किया जा रहा है। मेले में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से कहीं अधिक भागीदारी देखने को मिल रही है। मेले में 42 देशों के 648 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।
मेला परिसर में स्टॉल संख्या 173 के संचालक मध्य प्रदेश के टिकमगढ़ निवासी पुष्पेंद्र कहते है यह स्टाल पीतल की मूर्तियों के शानदार संग्रह को प्रदर्शित करता है, जिसमें देवी-देवताओं, पशुओं और विभिन्न अन्य विषयों की मूर्तियाँ शामिल हैं। कलाकारों द्वारा हाथ से बनाई गई ये मूर्तियाँ, पारंपरिक तकनीकों और कारीगरी का प्रमाण हैं। यह अपनी अनूठी कलाकृतियों के लिए सरकार द्वारा राज्य एवं राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित है। ये शानदार मूर्तियां हर किसी का ध्यान खींच रही है।
मूर्तिकार ने बताया पीतल कि मूर्ति बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। सबसे पहले वे मिट्टी, मोम या अन्य सामग्रियों से एक मॉडल तैयार करते हैं। फिर मॉडल को एक साँचे में ढाला जाता है। इस साँचे में पिघला हुआ पीतल डाला जाता है। पीतल ठंडा होने के बाद, उसे साँचे से निकाल दिया जाता है,फिर कलाकृति को सजावटी रूप देते हैं।
सूरजकुंड मेले में आने वाले सभी कला प्रेमियों के लिए यह एक अद्भुत अवसर है, जहां वे पीतल की मूर्तियों की सुंदरता और कलात्मकता का अनुभव कर सकते हैं।