Faridabad NCR
संत श्री आशारामजी बापू आश्रम में मनाया जाएगा तुलसी पूजन दिवस
भूमि भारत में जो संस्कार, शिक्षा पूजा और उपासना द्वारा हमें लाभ मिल रहा है ऐसा और कोई देश में नहीं है। हमारे सद्गुरुदेव पूज्य संत श्री आशारामजी बापू बताते है कि तुलसी एक है पर उनके गुण, लाभ अनेक है. पूज्य बापूजी कहते है कि नित्य तुलसी-सेवन से अम्लपित (एसिडिटी) दूर हो जाता है, मांसपेशियों का दर्द, सर्दी-जुकाम, मोटापा, बच्चों के रोग, विशेषकर काफ, दस्त, उलटी, पेट के कृमि आदि में लाभ करती है. विद्यार्थी प्रतिदिन तुलसी सेवन द्वारा अपनी स्मरण शक्ति अभूतपूर्व रूप से बढ़ा सकते है। विद्यार्थियों ने संकल्प लिया की अपने दैनिक जीवन में तुलसी माता का सेवन व पूजन जरुर करेंगे। आज के समय में लोग तुलसी की महिमा भूलते जा रहे है जिससे लोगो के स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है, संत श्री आशारामजी बापू ने जब आदिवासी गरीब लोगो की समस्या देखी तो तुलसी वितरण अभियान शुरू किया। आज भारत के हर गाँव- शहर में तुलसी पूजन अभियान चल रहा है इसी कड़ी में पुरे भारत वर्ष साथ साथ विदेशों में भी 25 दिसम्बर तुलसी पूजन कार्यक्रम के तहत विद्यालयों व कॉलोनियों में कार्यक्रम आयोजित हो रहे है।
पूज्य बापूजी बताते हैं कि भारतीय दर्शन-शास्त्र और संस्कृति पूरे विश्व को परिवार मानते हुए मानव मात्र के कल्याण के निमित प्रयास करती है। एक परिवार का मुख्या हमेशा पूरे परिवार का ही मंगल चाहेगा, न की एक सदस्य का। इसी प्रकार हमारी संस्कृति 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन द्वारा आरोग्य प्रदान करती है, जबकि पाश्च्यातय संस्कृति प्लास्टिक के पोधे को क्रिसमस के रूप मे बना कर अंधविश्वास के साथ-साथ प्रदूषण को बढ़ावा देती है। आज तक भारत का मार्गदर्शन हमारे ऋषि-मुनियों, संत-महापुरुषों ने किया है, और इनके मार्गदर्शन मे भारत विश्वगुरु बन-कर ही रहेगा। पूज्य बापूजी ने 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाने की सुंदर सौगात समाज को दी है। विश्वभर में अब यह दिवस व्यापक स्तर पर मनाया जाने लगा है।
आजकल पाश्चात्य नववर्ष की आड़ में अंग्रेजी वर्ष के अंत मे आपराधिक कुवृतियां में वृद्धि होने लगती हैं। शराब व अन्य मादक पेय पदार्थों की खपत बढ़ जाती हैं तथा पाश्चात्य अंधानुकरण से पोप म्यूजिक से नृत्य कर अपनी जीवनशक्ति का ह्रास कर बैठते हैं इसलिए पूज्य बापूजी की प्रेरणा से अंग्रेजी वर्ष के अंत मे भारत विश्व गुरु अभियान सप्ताह चलाया जाता है जिसमे तुलसी पूजन दिवस जैसे पर्व, चले स्व की ओर, विद्यार्थी जप अनुष्ठान जैसे शिविरो का आयोजन, नशा मुक्ति अभियान, गौपूजन, युवा त्तेजस्वी शिविरों का आयोजन होता हैं तथा सभी को अंग्रेजी नववर्ष के स्थान पर भारतीय नववर्ष अर्थात चैत्र नववर्ष को को वैदिक रीतिरिवाज के साथ मनाने का संदेश दिया जाता है। इस दौरान सभी बच्चे, पुरुष व महिलाएं उपस्थित रहें ऐसा निवेदन है।