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Faridabad NCR

आजादी के अमृत महात्सव के तहत मेले में 1857 की क्रांति को लेकर नाटक का मंचन

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 30 मार्च। सूरजकुंड क्राफ्ट मेले के 11वें दिन बड़ी चौपाल में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में सूचना जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग द्वारा 1857 का संग्राम: हरियणा के वीरों के नाम नाटक प्रस्तुत किया गया। लगभग 45 मिनट तक चले इस नाटक में हमारे पूर्वजों के त्याग व बलिदान को मंच के माध्यम से देखकर दर्शक भावूक नजर आए।
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत सूचना जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के निदेशक अमित अग्रवाल के निदेशानुसार तैयार किए गए इस नाटक में हरियाणा के वीरों की 1857 के विद्रोह में भूमिका को दृशाया गया। ऐतिहासिक दृष्टिïकोण से 1857 के गदर के कई आयाम है। इस नाटक की विषय बस्तु को हरियाणा के सामाजिक व आर्थिक परिपेक्ष्य मेंं गढा गया है। हरियााण प्रदेश हमेशा से कृषि में अव्वल रहा है। ऐसे में 17वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी के मुनाफाखोर नीति का सबेस ज्यादा कुप्रभाव हरियाणा प्रदेश को भुगतना पड़ा था। देशी रियासतें प्रभावहीन हो गई थी। स्थानीय प्रशासन पर ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रभुत्व था। कंपनी के भूमि संबंधी कानून ने कृषि को बर्बाद कर दिया और किसान तबाह हो गए। जिसके चलते गांव के युवक रोजी-रोटी के लिए कंपनी फौज में भर्ती हो गए। वहां भी उन्हें शोषण और प्रताडऩा ही मिली।
नाटक में औरतों, युवाओं, आमलोगों, फकीरों और ईमामों के योगदान को भी रेखांकित किया गया। कम्पनी के र्दुव्यवहार से सिपाहियों की हालत खराब हो गई थी तथा साथ ही गाय व सुअर की चर्बी वाला कारतुस कम्पनी ने सिपाहियों को प्रयोग के लिए देना शुरू कर दिया था। इससे हिन्दू और मुसलिम सिपाहियों की धार्मिक भावना पर एक बड़े अघात के समान था। सिपाहियों ने कम्पनी के खिलाफ बगावत शुरू कर दी और अंग्रेज अफसरों के बंगले जलाकर, असला बारूद लूटकर अंबाला छावनी से भगाकर गांवों में पहुंचते हैं। वहां मेव किसान के प्रधान सदरूदीन किसानों औरा कारीगरों की सेना बनाकर सिपाहियों के साथ बगावत में शामिल हो जाता है। उसेक बाद हरियाणा के विभिन्न रियासतदार जिनमें रेवाड़ी के राज राव तुलाराम, बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह, बहादुरगढ़ के राजा जंग बहादुर और हिसार के नवाब मो. अजीम आपस में मिलकर कंपनी हुकुमत के खिलाफ बगावत करने का ऐलान करते हैं। सदरूदीन को संयुक्त सेना का सेनापति नियुक्त किया गया। इसके बाद हरियाणा के हर शहर व गांव में विद्रोह ने जोर पकड़ा। हांसी में ब्रितानिया सेना ने आम लोगों पर रोड़ रोलर चलाकर रौंद डाला तथा स्वतंत्रता सेनानी उदमी राम व उसके साथियों को कील ठोकरकर सूली पर लटका दिया। ये दृश््रय देख दर्शकों की आंखें नम हो गई और तालियां बजाकर गर्मजोशी के साथ कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।
सूचना जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग द्वारा तैयार करवाए गए इस नाटक के लेखक डॉ. चंद्रशेखर व निर्देशन व मुख्य गायन चाईनीज गिल ने किया। नाटक में नाहर सिंह के रूप में वीवेक शर्मा, रावतुलाराम के रूप में जसवीर कुमार ने, आदित्य शर्मा ने फौजी, विनित ने गोपालदेव, अशोक ने फौजी व ग्रामीण, प्रगीत शर्मा व अवनीत कौर ने नृतकी व ग्रामीण महिला, सुनील ने फौजी, रोहित शर्मा ने फौजी, सुरेन्द्र नरूला ने किसान, अभिमन्यु ने फौजी, अरूण ने फौजी व बेटे तथा प्रदीप व दिनेश ने फौजी का अभिनय किया। नाटक में म्यूजिक डायरेक्टर व गीतकार मजीद खान व विनोद कुमार, हारमोनियम वादक सुरेन्द्र कु मार, सारंगी रवादक राजेश कुमार, ढोलक वादक शिवम व गायन रहीसुद्दीन ने किया।

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