Faridabad NCR
डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद में स्वामी दयानन्द जयंती के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद में 12 फरवरी 2021 को स्वामी दयानन्द जयंती के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। प्रातः 10ः00 बजे महाविद्यालय परिसर में हवन का आयोजन किया गया जिसमें काॅलेज के प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों ने आहुतियाँ दी। हवन कालेज की साईस विभाग की डीन डाॅ.प्रिया कपूर द्वारा किया गया जिसमें श्री मुकेश बंसल, डाॅ. सुनीति आहूजा, डाॅ. नरेन्द्र दुग्गल, श्री अशोक मंगला सहित कालेज के काॅफी टीचिंग और नान टीचिंग स्टाफ मौजूद रहे। प्राचार्या डाॅ.सविता भगत ने छात्रों को वैदिक सस्कृति के प्रति जागरुक किया।
11ः00 बजे काॅलेज ऑडिटोरियम में स्वामी दयाानन्द सरस्वती एवं आर्य समाज विशय पर एक व्याख्यान डी.ए.वी काॅलेज के ही रिटायर्ड एसोसिएट प्रोफेसर दिनेश चन्द्राजी द्वारा दिया गया। प्रोफेसर दिनेश चन्द्रा जी ने विद्यार्थियों
को स्वामी जी के जीवन, आर्य समाज के नियम और वैदिक कालीन संस्कृति से रूबरू कराया। उन्होनें बताया कि स्वामी जी पहले व्यक्ति थे जिन्होनें स्वदेसी, स्वराज्य और हिन्दी को राष्ट्र भाशा बनाने की अपील की। भारत वासियों
के अंदर देशप्रेम और देशभक्ति की ज्वाला प्रज्जवलित करने वालों मे उनका नाम अग्रणीय है। काॅलेज प्राचार्या डाॅ. सविता भगत जी ने प्रोफेसर दिनेश चन्द्रा जी का धन्यवाद किया और उनका आभार प्रकट करते हुए उन्हें उपहार
भेंट किया। कार्यक्रम में डाॅ. सुनीति आहूजा, डाॅ. नरेन्द्र दुग्गल, डाॅ. नीरज सिंह, श्रीमती कमलेश सैनी, श्रीमती शिवानी हंस, श्रीमती स्नेहलता आदि मौजूद रहे। मंच संचालन डाॅ. प्रिया कपूर द्वारा किया गया।
इसी उपलक्ष्य में संस्कृत भाशा में निबन्ध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता के संयोजक संस्कृत विभागाध्यक्ष डाॅ. अमित शर्मा पर्यवेक्षिका सहाचार्या एवं कला संकायाध्यक्षा डाॅ. विजयवंती यादव तथा संरक्षिका कार्यवाहक प्राचार्या डाॅ.सविता भगत जी रही। इस प्रतियोगिता में महाविद्यालय के सभी विभागों से 23 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान महक, द्वितीय स्थान नव्या तथा तृतीय स्थान रिंकल ने प्राप्त किया। प्रोत्साहन पुरस्कार राशि ने प्राप्त किया। इस अवसर पर प्राचार्या डाॅ. सविता भगत ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए आर्य समाज के दस नियमों एवं स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन पर प्रकाश डालते हुए सभी विद्र्याथयों को उनकी शिक्षाओं को जीवन मे अपनाने को प्रेरित किया।