Faridabad NCR
कुलगुरु प्रो. राजीव कुमार ने 15वें अंतरराष्ट्रीय शिक्षा एवं कौशल शिखर सम्मेलन में किया विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 19 नवंबर। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के कुलगुरु प्रो. राजीव कुमार ने नई दिल्ली के यशोभूमि इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्जीबिशन सेंटर (आईआईसीसी) में आयोजित 15वें अंतरराष्ट्रीय शिक्षा एवं कौशल शिखर सम्मेलन (टीआईईएसएस-2025) के सत्र “स्थायी शिक्षा : भविष्य के लिए पाठ्यक्रम, शिक्षणशास्त्र और मूल्यांकन” में सम्मानित पैनलिस्ट के रूप में भाग लिया तथा शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डाला।
इंडिया डिडैक्टिक्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित टीआईईएसएस-2025 शिक्षा एवं कौशल क्षेत्र का भारत का सबसे बड़ा वैश्विक सम्मेलन एवं प्रदर्शनी है। इस वर्ष 40 से अधिक देशों के 300 से ज्यादा प्रदर्शक इसमें शामिल हुए है।
जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए प्रदर्शनी में कौशल विकास तथा तकनीकी शिक्षा में अपनी अग्रणी पहलों एवं सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को प्रदर्शित किया है। विश्वविद्यालय स्टॉल का नेतृत्व डीन (इंस्टिट्यूट) प्रो. मुनीश वशिष्ठ तथा कम्युनिटी कॉलेज ऑफ स्किल डेवलपमेंट के प्रिंसिपल प्रो. संजीव गोयल कर रहे हैं।
पैनल चर्चा में प्रो. राजीव कुमार ने अंतरराष्ट्रीय बैकालॉरिएट के मूल्यांकन निदेशक श्री मैथ्यू ग्लैनविले, एक्स्ट्रामार्क्स एजुकेशन की चीफ बिजनेस ऑफिसर पूनम जामवाल तथा भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद के मुख्य कार्यकारी एवं सचिव डॉ. जोसेफ इमैनुअल जैसे ख्याति प्राप्त शिक्षा विशेषज्ञों के साथ मंच साझा किया। सत्र का संचालन ब्रिटिश एजुकेशनल सप्लायर्स एसोसिएशन की उप महानिदेशक जूलिया गार्वे ने किया।
शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रो. राजीव कुमार ने बल दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में भी मौलिकता और मानवीय रचनात्मकता को खोना नहीं चाहिए तथा शिक्षकों को शिक्षणशास्त्र में निरंतर नवाचार करना होगा। उन्होंने नीति-निर्माताओं से शिक्षकों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जिम्मेदारीपूर्ण एकीकरण पर बड़े पैमाने पर जागरूकता एवं क्षमता-वर्धन कार्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक उपयोग की शिक्षा जूनियर कक्षाओं से तथा प्री-स्कूल स्तर से ही प्रारंभ की जानी चाहिए। अभिभावकों को भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है ताकि वे अपने बच्चों का उचित मार्गदर्शन कर सकें। साथ ही, तेज़ तकनीकी प्रगति के बीच समाज को आत्मचिंतन और बच्चों के लिए अधिक समय देने की आवश्यकता है।
कुलगुरु ने विश्वविद्यालय के प्रदर्शनी स्टॉल का दौरा किया, वहाँ मौजूद टीम से संवाद किया तथा पूरी प्रदर्शनी का विस्तृत भ्रमण किया। उन्होंने साथ आए संकाय सदस्यों को सभी प्रदर्शनों को ध्यान से देखने और उच्च शिक्षा में नवीनतम नवाचारों एवं तकनीकी उन्नति की जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया ताकि ऐसे नवाचारी कदम विश्वविद्यालय में भी लागू किए जा सकें।
विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों एवं छात्रों की एक टीम भी टीआईईएसएस-2025 में सक्रिय रूप से भाग ले रही है और शिक्षा प्रौद्योगिकी तथा कौशल विकास में वैश्विक सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं व उभरते रुझानों का अध्ययन कर रही है।
