Faridabad NCR
सूरजकुंड मेले में हरियाणा की बुणाई कला पर्यटकों के लिए बनी आकर्षण
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 10 फरवरी। 36 वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले के विरासत सांस्कृतिक प्रदर्शनी में हरियाणा की बुणाई कला विशेष रूप से लोकप्रिय हो रही है। हरियाणा का आपणा घर में विरासत की ओर से लगाई गई सांस्कृतिक प्रदर्शनी में हरियाणवी बुणाई कला के नमूने के रूप में चारपाईयां, खटौले एवं पीढ़े पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। इस विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए निदेशक विरासत डा. महासिंह पूनिया ने बताया कि हरियाणवी लोकजीवन में बुणाई कला का विशेष महत्व है। पीढ़ों के अंदर रस्सी की गई बुणाई के डिजाईन यहां की लोक सांस्कृतिक परम्परा को दर्शाते हैं। इन डिजाईनों में लहरिया, पगड़ंडियां, चौपड़, फूल-पत्तियां आदि शामिल हैं। हरियाणवी बुणाई कला में मूंज, पटसन, सणी, सूत एवं रेशम की रस्सियों से बुणाई की जाने की परम्परा रही है। इस बुणाई कला के माध्यम से लोकजीवन में पीढ़ा, खटौला, खाट, खटिया, पिलंग, दहला आदि भरे जाते हैं।
डा. पूनिया ने बताया कि हरियाणा के बुणाई कलाकार सैंकड़ों वर्षों से लोकजीवन में प्रचलित इस कला को जीवित रखे हुए हैं। बुणाई कला में दुकड़ी, तिकड़ी, चौकड़ी, छकड़ी, अठकड़ी, नौकड़ी और बारहकड़ी, फूलों के विचार से चौफुली, नौफुली, सोलहफुली और चौंसठफुलिया, बेल अथवा लहर के विचार से खजूरी, गड़ेरिया, चौफडिय़ा, राजवान, सतरंजी, लहरिया और सांकरछल्ली तथा अन्य दृष्टि से पाखिया, जाफरी, चौफेरा, चौकिया, संकरफुलिया, चटाई, मकड़ी, गडिय़ा, निवाड़ी फूलपत्ती, चक्रव्यूह, चौपड़, छत्ता, किला, ताजमहल, पाखिया, जाफरी, चौफेरा, चौंकिया, शंकरफुलिया, चटाई, मकड़ी, गडिय़ा, निवाड़ी का प्रयोग किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में विरासत सांस्कृतिक प्रदर्शनी एवं आपणा घर के माध्यम से हरियाणवी लोककला एवं संस्कृति लाखों लोगों तक पहुंच रही है।