Faridabad NCR
जे.सी. बोस विश्वविद्यालय की ‘वुमन इनोवेटर्स’ एआईसीटीई के लीलावती पुरस्कार के लिए चयनित
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 7 मार्च। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद की वुमन इनोवेटर्स की एक टीम को महिला सशक्तिकरणा पर एआईसीटीई के लीलावती पुरस्कार 2021-22 के लिए चुना गया है। पुरस्कार के उप-विषय वुमन इनोवेटर्स (ग्रामीणध्शहरी) श्रेणी में विश्वविद्यालय की टीम ‘सशक्त’ को पुरस्कार के लिए चुना गया है।
विश्वविद्यालय की टीम को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में 8 मार्च 2022 को एआईसीटीई ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले एक पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार में 75,000 रुपये का नकद पुरस्कार और एक प्रशंसा प्रमाणी पत्र दिया जायेगा। विश्वविद्यालय की टीम देशभर की 27 संस्थागत टीम शामिल है, जिन्हें 8 विभिन्न उप-विषयक श्रेणियों के तहत पुरस्कार के लिए चुना गया है।
इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने विश्वविद्यालय में महिला संकाय सदस्यों एवं छात्राओं को प्रेरित करने के लिए किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि एआईसीटीई लीलावती पुरस्कार इस तथ्य को मान्यता देते हैं कि जे.सी. बोस विश्वविद्यालय महिला सशक्तिकरण एवं नवाचार के लिए एक बेहतरीन वातावरण प्रदान कर रहा है। कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने भी इस उपलब्धि पर टीम को बधाई दी है।
पांच सदस्यीय विश्वविद्यालय टीम का नेतृत्व विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर लखविंदर सिंह ने किया, जिसमें वुमन इनोवेटर्स कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सपना गंभीर एवं डॉ पारुल तोमर, कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. रश्मि चावला और कंप्यूटर इंजीनियरिंग की छात्रा खुशी गुप्ता शामिल हैं। इस टीम को विगत दो वर्षों के दौरान नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा किए गए अभिनव कार्यों के आधार पर पुरस्कार के लिए चुना गया है।
टीम ‘सशक्त’ ने चुनौतियों को अभिनव समाधान में बदलने के उद्देश्य के साथ काम किया और महामारी के दौरान समाज को सतत विकास के साथ अभिनव समाधान प्रदान किए। टीम द्वारा जिला प्रशासन को सहयोग देते हुए कोविड रोगियों के लिए ऑक्सीजन प्रबंधन प्रणाली की शुरूआत की। इसके अलावा, टीम ने समाज को लाभान्वित करने वाले परियोजनाओं पर भी काम किया, जिसमें औद्योगिक प्रदूषण मापन प्रणाली विकसित करना तथा थैलेसीमिक रोगियों के लिए मोबाइल ऐप ‘बूंद’ विकसित करना शामिल हैं। टीम के अन्य इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स में ऑटोमेटेड रिफिलेबल हैंड सैनिटाइजर रिस्ट बैंड और मोबाइल ऐप ‘सुविधा एक हल’ भी शामिल हैं। वर्तमान में टीम आईओटी आधारित वर्टिकल गार्डनिंग परियोजनाओं के माध्यम से एक स्वस्थ वातावरण विकसित करने की दिशा में काम कर रही है। विश्वविद्यालय की टीम की इन अभिनव परियोजनाओं की विभिन्न स्तरों पर सराहना भी की गई। टीम समय-समय पर संगोष्ठियों एवं प्रतियोगिताओं जैसी गतिविधियों के माध्यम से विश्वविद्यालय एवं आसपास के स्कूल के छात्रों को प्रेरित करने का काम भी करती है।
लीलावती पुरस्कार एआईसीटीई का एक अभिनव कदम है जिसका उद्देश्य लड़कियों को उच्च शिक्षा में शामिल होने के लिए प्रेरित करना और जीवन के सभी क्षेत्रों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है। इस वर्ष यह पुरस्कार महिलाओं एवं किशोर स्वास्थ्य, आत्मरक्षा, पर्यावरण, साफ-सफाई एवं स्वच्छता, साक्षरता एवं जीवन कौशल, महिला उद्यमिता, कानूनी जागरूकता, महिलाओं के लिए प्रौद्योगिकी और महिला इनोवेटर्स (ग्रामीण / शहरी) सहित आठ उप-विषयों में दिया जा रहा है।