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Faridabad NCR

सिविल इंजीनियरिंग और पर्यावरण वैज्ञानिक को मिलकर काम करना होगा : प्रो. दिनेश कुमार

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj :16 जनवरी। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के सिविल इंजीनियरिंग विभाग और पर्यावरण विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सिविल इंजीनियरिंग और पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में उन्नत तकनीकों पर आयोजित दो दिवसीय आनलाइन राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हो गया। इस सम्मेलन शोधकर्ताओं, संकाय सदस्यों, औद्योगिक विशेषज्ञों और विद्यार्थियों सहित देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
सम्मेलन के समापन सत्र में उन्नात भारत अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक तथा ग्रामीण विकास और प्रौद्योगिकी केंद्र, आईआईटी, दिल्ली से प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार विजय मुख्य अतिथि रहे। सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। निर्माण उद्योग विकास परिषद के वरिष्ठ सलाहकार श्री बी. आर. चैहान विशिष्ट अतिथि रहे।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. वीरेंद्र कुमार विजय ने देश में विकास के साथ बढ़त जल एवं भूमि प्रदूषण के बारे में चिंता जताई। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पर्यावरण के बारे में किताबी ज्ञान पर्यावरणीय चिंता को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके लिए संस्कृति और दर्शन को बदलना होगा। प्रैक्टिकल लर्निंग ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसके लिए विद्यार्थियों को कुछ दिनों के लिए नदी या गांवों के निकट रहकर पर्यावरण परिवर्तन को महसूस करना होगा।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर गाँवों और शहरों को भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल अपनी व्यवस्था करनी होगी। स्थानीय गांवों और ऊर्जा स्रोतों के बीच की दूरी को कम करना होगा। ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में ‘लोकल फार वोकल’ की आवश्यकता है। यह भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा।
निर्माण उद्योग विकास परिषद् में सीनियर सलाहकार तथा सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के वरिष्ठ लेखा परीक्षक श्री बी.आर.चैहान ने पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के लिए निर्माण एवं औद्योगिक क्षेत्र और संस्थानों में घनिष्ठ समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। धान के पराली को जलाने जैसी समस्याओं को हल करने के लिए कौशल और अभिनव विचारों की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया।
कुलपति ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि सिविल इंजीनियरिंग और पर्यावरण वैज्ञानिक को पर्यावरण के संरक्षण के लिए नए तकनीकी विकास के साथ मिलकर काम करना होगा। इन पर्यावरणीय मुद्दों और चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्यावरण संबंधी चिंताओं के साथ सतत विकास के सिद्धांतों को एकीकृत करना होगा।
सम्मेलन के विशेषज्ञ सत्रों को आईआईअी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों तथा औद्योगिक क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा संबोधित किया। सम्मेलन के दौरान 62 शोध पत्र रखे गये।
इससे पहले, सिविल इंजीनियरिंग के अध्यक्ष प्रो. एम.एल. अग्रवाल ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। पर्यावरण विज्ञान की अध्यक्षा डॉ. रेणुका गुप्ता ने सम्मेलन के वक्ताओं, अतिथि तथा प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। डॉ. सोमवीर ने सम्मेलन की कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत की। डॉ. विशाल पुरी ने सभी आठ तकनीकी सत्रों के लिए श्रेष्ठ शोध पत्र के पुरस्कार घोषित किये।

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