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Faridabad NCR

जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में भारतीय नववर्ष का हर्षोल्लास के साथ हुआ स्वागत

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 4 अप्रैल। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा आज भारतीय नववर्ष (नव-संवत्सर) विक्रम सम्वत 2079 का स्वागत उत्साह एवं हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय परिसर में शांति एवं समृद्ध के लिए हवन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारतीय नववर्ष के ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक आधार को लेकर विस्तार से चर्चा भी की गई।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. ओम प्रकाश पांडेय ने मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय नव वर्ष के ऐतिहासिक और वैज्ञानिक आधार पर व्याख्यान दिया। व्याख्यान सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो सुशील कुमार तोमर ने की। इस मौके पर शिक्षाविद् डॉ. देव प्रसाद भारद्वाज, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रो. अनुराग मिश्रा और कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार गर्ग भी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन युवा कल्याण मामलों के निदेशक डाॅ. प्रदीप डिमरी ने किया तथा सत्र का संयोजन विवेकानंद मंच द्वारा किया गया।
प्रो. पाण्डे ने युवाओं को भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक आधार पर शोध करने के लिए प्रेरित किया और भारतीय कैलेंडर की प्रासंगिकता और महत्व के बारे में विस्तार से बताया। भारतीय नववर्ष की ऐतिहासिकता एवं वैज्ञानिकता प्रो. पांडेय ने कहा कि नव-संवत्सर प्राचीन मनीषियों और भारतीय खगोल-शास्त्रियों के सूक्ष्म चिन्तन-मनन के आधार पर की गई कालगणना के अनुसार पूर्णतः वैज्ञानिक एवं प्रकृति-सम्मत है। यह प्रमाणिक है कि चन्द्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण जैसी घटना अचूक रूप से पूर्णिमा एवं अमावस्या को ही होती हैं। भारतीय नववर्ष राष्ट्रीय स्वाभिमान एवं सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहर को मान्यता देने का दिन है। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय संस्कृति पर गर्व एवं अभिमान करना चाहिए।
अपने संबोधन में कुलपति प्रो. तोमर ने शैक्षणिक पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में मानवीय मूल्यों को विकसित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्य और राष्ट्रीय मूल्य किसी भी शिक्षा प्रणाली के मूल तत्व हैं। उन्होंने इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए विश्वविद्यालय के विवेकानंद मंच के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कामना की कि नया वर्ष प्रत्येक के जीवन में नई उमंग, उत्साह, सुख-समृद्धि और खुशहाली लेकर आये।
सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. देव प्रसाद भारद्वाज ने छात्रों के लिए भारत वैभव पुस्तक का उल्लेख किया जिसमें भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणाली, प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से संबंधित अहम जानकारी है। उन्होंने वर्तमान समय में ऐसी पुस्तकों की आवश्यकता पर बल दिया।

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