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Faridabad NCR

कपड़ों को कैमिकल नहीं फूलों की रंगत से चमकाते हैं अनूप राय

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj :15 फरवरी। 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में इस बार जहां कला व संस्कृति के नए रंग देखने को मिले वहीं हैंडीक्राफ्ट के दीवनों का लिए भी यह मेला इस बार कुछ खास रहा है। इन्हीं हस्तशिल्पियों के बीच अनूप राय भी अपने प्रकृति के प्रति प्रेम की झलक यहां प्रस्तुत कर रहे थे। अनूप कुमार ने यहां दो हजार साल पुरानी फूलों के रंगों का प्रयोग कर कपड़े रंगने की परंपरा को जीवंत करते दिखाया। वीवीआईपी और विदेशियों को तो अनूप का यह प्रयोग इतना ज्यादा पसंद आया कि उनके उत्पाद यहां हाथों-हाथ बिके।
मेले में स्टाल नंबर 966 पर बैठे अनूप राय ने बताया कि हम आजकल कपड़ों की रंगाई के लिए कैमिकल के रंगों का प्रयोग करते हैं। सबसे ज्यादा प्रदूषण का कारण यही रंग और इनके अवशेष हैं। 40 सालों तक टेकसटाईल मंत्रालय में काम कर चुके अनूप राय बताते हैं कि मंत्रालय से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपना बाकी का जीवन पर्यावरण संरक्षण को समर्पित करने का निर्णय लिया। उन्होंने नोएडा में एक उन्नति लघु उद्योग स्थापित किया और आनंदा सिबोरी के नाम से उत्पाद तैयार किया। उन्होंने बताया कि इसके लिए जितने भी उत्पाद तैयार किए उनमें पौधों से प्राप्त रंगों से रंगाई की। दस साल पहले शुरू किए इस कार्य को इतना अधिक प्रोत्साहन मिला कि विदेशी इसके सबसे ज्यादा दीवाने हो गए।
अनूप राय ने बताया कि कपड़े रंगने में हरेड़ा, मालबरी, ब्रिजलवुड, इंडिगो, लैक, अनार, गैंदा और कशिश जैसे फूलों का प्रयोग किया। उन्होंने बताया कि 16 दिन तक चले मेले में बड़ी संख्या में लोग यहां आए। हरियाणा की मुख्य सचिव केसनी आनंद अरोड़ा ने भी उनके कपड़ों की प्रशंसा की और स्वयं स्टाल पर देखने भी आई। उन्होंने बताया कि इन कपड़ों का फायदा है कि यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं और इनमें जिन रंगों का प्रयोग किया है उन्हें अगर पी भी लें तो भी शरीर को नुकसान नहीं होता। उन्होंने बताया कि उसने इन कपड़ों को डिजाईनर शाहीन अख्तर के साथ डिजाईन किया तो लुक में और चार चांद लग गए। उन्होंने बताया कि हर गारमेंट में दाम के साथ किस पौधे के रंग से छपाई हुई है असका वर्णन भी जरूर करते हैं।

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