Connect with us

Faridabad NCR

डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय में मनाया गया महात्मा आनंदस्वामी जी का अमृतोत्सव

Published

on

Spread the love

Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय में महात्मा आनंद स्वामी जी के अमृतोत्सव के तहत यज्ञशाला में हवन व् भजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डी.ए.वी संस्थान से जुड़े हरियाणा के सभी स्कूल व् कॉलेज में 16 अक्तूबर से 24अक्तूबर तक इस अमृतोत्सव को मनाया जा रहा है। इस अमृतोत्सव का उद्देश्य छात्रों व् शिक्षकों को महात्मा आनंद स्वामी व् आर्य समाज के संस्थापक रहे स्वामी दयानंद सरस्वती जी की वैदिक विचारधारा व् समाजोत्थान के उनके प्रयासों से अवगत कराना है।

महात्मा आनंद स्वामी जी के बचपन का नाम खुशहाल चंद था और एक पत्रकार के रूप में उन्होंने ‘आर्य गजट’, ‘मिलाप’ आदि पत्रों का संपादन किया था। लोकहित व् समाजोत्थान के उद्देश्य से उन्होंने 30 से ज्यादा किताबों को भी लिखकर प्रकाशित भी किया। स्वतंत्रता संग्राम से एक नायक के रूप में जुड़े और काफी समय जेल में बिताया। अपने जीवन के अंतिम पड़ाव के रूप में संन्यास को अंगीकार किया व् आत्मा के पुण्य शरीर को छोड़ने तक जनकल्याण कार्यों व् उनके मार्गदर्शन को अविलंब करते रहे। महात्मा आनंद स्वामी जी, जो एक सद्चरित्र, परोपकारी, पुण्यात्मा व्यक्ति थे और जिन्होंने अपना समस्त जीवन वैदिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए न्यौछावर कर दिया था।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सविता भगत ने बताया कि ईश्वर एक है, सर्वव्यापक है और यह समस्त जगत उसी सर्वशक्तिमान की सत्ता है। आज निरंतर हो रहे नैतिक पतन को रोकने के लिए वैदिक शिक्षा ही एक मात्र उपाय है। वेदों व् उपनिषदों के कुछ छोटे-छोटे से शिक्षाप्रद मंत्र है, जिनका चिंतन-मनन अगर व्यक्ति जीवन में अंगीकृत कर ले तो उसका जीवन सफल हो सकता है। डॉ. भगत ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी द्वारा जब कहा गया था की वेदों की ओर लौटो तो वो कथन आज के आधुनिक परिप्रेक्ष्य को सही दिशा देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण नजर आता है। डॉ. भगत ने बताया कि पदम् श्री श्री पूनम सूरी जी, जो डी.ए.वी प्रबंधन संस्थान के अध्यक्ष हैं, वो कोई और नहीं बल्कि वो महात्मा आनंद स्वामी जी के पौत्र हैं, जो स्वयं भी महात्मा आनंद स्वामी जी के ही प्रशस्त किये गए पदचिन्हों पर अग्रसर हैं।

अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित अजय सहगल जी ने महात्मा आनंद स्वामी जी के जनमानस के उत्थान व् वैदिक शिक्षा के प्रचार के लिए किये गए कार्यों को उल्लेखित किया व् स्वामी जी द्वारा उनकी कर्मभूमि रही टंकारा में चलाए गए गुरुकुल, गौशाला व् ट्रस्ट के वैदिक शिक्षा में योगदान से भी अवगत कराया। उन्होंने बड़े ही रोचक प्रसंगों के माध्यम से वेदों की बातों को रखा। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को हम अगर वेदों की ओर आकर्षित करना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें ये समझना जरूरी है कि आज के हमारे युवा की सोच क्या है और वो क्या चाहता है। आज वेदों की शिक्षा को कुछ रोचक प्रसंगों, कुछ दिलचस्प कहानियों व् कुछ कर्णप्रिय संगीत के माध्यम से युवाओं तक पहुँचाने की जरूरत है तभी वो युवा उस शिक्षा को सहर्ष स्वीकार कर पायेगा। उन्होंने बताया कि कैसे टंकारा से शुरू हुआ आर्य समाज का अभियान आज पूरे भारतवर्ष में वैदिक शिक्षा योगदान में अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है।

टंकारा स्थित गुरुकुल से वैदिक शिक्षा में स्नातक की डिग्री प्राप्त कर चुके श्री अंकित शास्त्री जी ने हवन को संपन्न करवाया व् मंत्रमुग्ध कर देने वाले कुछ बहुत ही कर्णप्रिय भजन भी उपस्थित लोगों के सामने पेश किये।

श्री के. एल. खुराना प्रधान, आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि उपसभा, हरियाणा व् श्री डी.वी सेठी जी को भी इस अमृतोत्सव के हवन कार्यक्रम में शिरकत करनी थी परन्तु कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के चलते वो उपस्थित नहीं हो सके परन्तु उन्होंने  शुभाशीष इस कार्यक्रम आयोजन के लिए भेजे। हवन कार्यक्रम में डॉ. सुनीति आहूजा, अंजु गुप्ता, डॉ.डी.पी वैद, डॉ. नरेन्द्र दुग्गल, अशोक मंगला, आनंद सिंह, डॉ. प्रिया कपूर, अर्चना सिंघल, वीरेंद्र सिंह के साथ-साथ सभी शिक्षक व् नॉन -टीचिंग के कर्मचारी मौजूद रहे।

Continue Reading

Copyright © 2024 | www.hindustanabtak.com