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Chandigarh

चंडीगढ़ एंड हरियाणा जर्नलिस्ट यूनियन ने पत्रकारों की मांगों बारे मुख्य सचिव को सौंपा ज्ञापन

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Chandigarh Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 2 जनवरी। चंडीगढ़ एंड हरियाणा जर्नलिस्ट यूनियन (रजि.) के एक प्रतिनिधिमंडल ने यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राम सिंह बराड़ व चेयरमैन बलवंत तक्षक के नेतृत्व में हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल से चंडीगढ़ स्थित उनके कैंप ऑफिस पर मुलाकात कर हरियाणा के पत्रकारों की मांगों को लेकर डिप्टी सीएम को एक मांगपत्र सौंपा। आईजेयू से संबंधित सीएचजेयू अध्यक्ष राम सिंह बराड़ व चेयरमैन बलवंत तक्षक ने बताया कि पत्रकारों की मांगों में कोरोना काल में शहीद हुए पत्रकारों को कोरोना योद्धा मानते हुए सभी शहीद पत्रकारों के परिवारों को 10-10 लाख रूपए की आर्थिक मदद व एक-एक पारिवारिक सदस्यों को सरकारी नौकरी देने, पत्रकार पैंशन योजना में बढ़ौतरी करके इसे 20 हजार रूपए महीना करने, मान्यता के नियमों को सरल बनाने व बड़े कस्बों के पत्रकारों को भी मान्यता देने, प्रदेश स्तरीय प्रेस मान्यता कमेटी का गठन करने, पैंशन के लिए पत्रकारों की आयु सीमा 60 साल से कम करके 55 साल करने, पत्रकारों का 60 वर्ष की उम्र से पहले दुर्घटना, कैंसर या किसी लाइलाज बीमारी अथवा अप्राकृतिक कारण से निधन होने पर उम्र की सीमा शर्त हटाकर उनके परिवार को पेंशन सुविधा देने, गैर- मान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी पैंशन सुविधा देने, सभी पत्रकारों को कैशलैस मेडिकल सुविधा के कार्ड प्रदान करने और गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी कैशलेस मेडिकल सुविधा दिए जाने की मांग शामिल है।
राम सिंह बराड़ व बलवंत तक्षक ने बताया कि यूनियन की अन्य मांगों में हरियाणा के पत्रकारों के लिए चंडीगढ़ व पंचकूला में सरकारी आवास का कोटा बढ़ाने और जिला व उपमंडल स्तर पर कार्यरत पत्रकारों को भी चंडीगढ़ की तर्ज पर सरकारी आवास की सुविधा प्रदान करने, पत्रकारों की सहकारी आवास समितियों को प्रदेश मुख्यालय, जिला, उपमंडल व ब्लॉक मुख्यालय पर प्राथमिकता के आधार पर शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टरों अथवा हाऊसिंग बोर्ड कलोनियों में जमीन व प्लॉट अलॉट करने, मान्यता प्राप्त पत्रकारों को बस यात्रा की सुविधा पर लगाई किलोमीटर सीमा समाप्त करने और प्रदेश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर बने टोल प्लाजा पर पत्रकारों को टोल से छूट देने और प्रदेश सरकार की विज्ञापन नीति को और ज्यादा पारदर्शी बनाने व छोटे और मंझोले समाचार पत्रों को भी नियमित रूप से विज्ञापन दिए जाने की मांग भी शामिल है।
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