Faridabad NCR
महारान वैष्णो देवी मंदिर में गूंज स्कंदमाता के जयकारे
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 30 सितम्बर। नवरात्र के पांचवे दिन तिकोना पार्क स्थित महारानी वैष्णो देवी मंदिर में स्कंदमाता की पूजा-अर्चना हुई। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने माता का जयघोष किया तथाा नारियल व चुनरी भेंट की। इस मौके पर सुबह हवन यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने भाग लिया वहीं इसके बाद माता की आरती की गई। इस मौके पर विशेष रूप से प्रधान सेवक जगदीश भाटिया के साथ दर्शनलाल मलिक, सुरेंद्र, विजय, अनिल ग्रोवर, संजय वधवा, केसी लखानी, वेद, सुभाष, रवि कपूर, प्रताप आदि मौजूद रहे। इस अवसर पर प्रधान सेवक जगदीश भाटिया ने कहा कि स्कंदमाता को को मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि स्कंदमाता भक्तों की समस्त कामनाओं की पूर्ति करती हैं। मां दुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियां आती हैं। उन्होंने कहा कि संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। स्कंदमाता की पूजा से भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनकी पूजा से भक्त अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। उन्होंने बताया कि सिंह पर सवार माता अपने गोद में सनत कुमार भगवान कार्तिकेय को लिए हुए ये संदेश देती हैं कि सांसारिक मोह माया में रहते हुए भी भक्ति के मार्ग पर चला जा सकता है और समय आने पर बुद्धि और विवेक से असुरों का नाश करना चाहिए। माता को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है इसलिए इन्हें अपने पुत्र के नाम के साथ संबोधित किया जाना अच्छा लगता है। जगदीश भाटिया ने कहा कि जब देवी पार्वती भगवान स्कंद की माता बनीं, तब माता पार्वती को देवी स्कंदमाता के रूप में जाना गया। वह कमल के फूल पर विराजमान हैं, और इसी वजह से स्कंदमाता को देवी पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है। देवी स्कंदमाता का रंग शुभ्र है, जो उनके श्वेत रंग का वर्णन करता है। जो भक्त देवी के इस रूप की पूजा करते हैं, उन्हें भगवान कार्तिकेय की पूजा करने का लाभ भी मिलता है। मां स्कंदमाता को विद्यावाहिनी, माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया। जगदीश भाटिया ने कहा कि पूरे नवरात्र में मंदिर में श्रद्धालुओं की रौनक देखते ही बन रही है तथा दूर-दराज से लोग माता के दर्शन के लिए आ रहे हैं तथा मान्यता है कि मंदिर में जो भी माता के समक्ष मनोकामना मांग कर जाता है। उसकी मनोकामना महारानी के दरबार में अवश्य पूरी होती है।