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Chandigarh

नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच को आखिरकार ने विधानसभा में दिया स्पेशल आडिट का निर्णय

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Chandigarh Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj :
राज्य सरकार ने आखिरकार विधानसभा में यह घोषणा कर दी है कि फरीदाबाद नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए निगम में स्पेशल आडिट कराया जाएगा। मानसून सत्र में सोमवार कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा द्वारा प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि फरीदाबाद नगर निगम में बिना काम ठेकेदार सतबीर सिंह को किए गए भुगतान घोटाले की जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो कर रहा है। इसकी जांच रिपोर्ट के बाद आरोपित अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा के कथन को आगे बढ़ाते हुए भाजपा विधायक नरेंद्र गुप्ता ने सदन में मौजूद उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से मांग की कि नगर निगमों में हुए भ्रष्टाचार के साथ गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) की जांच भी करवाई जाए। इससे नगर निगम, ठेकेदार और उनको माल आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अदा किए गए जीएसटी के आंकड़ों के आधार पर जांच में आसानी रहेगी। बता दें, सात जुलाई 2020 को फरीदाबाद नगर निगम के पार्षद महेंद्र सिंह,सुरेंद्र अग्रवाल,दीपक यादव, दीपक चौधरी ने लेखा विभाग से मिली जानकारी के आधार पर निगमायुक्त को पत्र लिखकर बताया कि जिन कार्यों की एवज में निगम ठेकेदार को भुगतान कर चुका है, वे कार्य उनके वार्ड में हुए ही नहीं हैं। निगमायुक्त ने पार्षदों की इस शिकायत पर नौ जुलाई 2020 को जांच के लिए फरीदाबाद नगर निगम के संयुक्त आयुक्त, मुख्य अभियंता, क्षेत्रीय एवं कराधान अधिकारी की कमेटी गठित कर दी। बाद में पार्षदों की मांग पर इस कमेटी में उप महापौर और पार्षद अजय बैसला को भी शामिल कर लिया गया। मुख्य अभियंता ने 18 नवंबर 2020 को इसकी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, इसमें 23,79,72,990 रुपये की नगर निगम को वित्तीय हानि हुई।कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर निगमायुक्त ने जेई दीपक कुमार को निलंबित कर दिया और आउटसोर्सिंग के कर्मचारी राजन तेवतिया,पंकज, तसलीम और प्रदीप की सेवाएं समाप्त कर दी।निगमायुक्त ने कमेटी की रिपोर्ट पर राज्य सरकार से मुख्य अभियंता डीआर भास्कर, लेखाधिकारी विशाल कौशिक सहित ठेकेदारों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की सिफारिश की। निगमायुक्त ने 19 मार्च 2021 को एफआइआर के लिए सरकार से सिफारिश की मगर सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया।
स्पेशल आडिट कराने की घोषणा सरकार पहले भी कर चुकी है। विधानसभा में मेरे इस सवाल का जवाब नहीं दिया गया कि बिना काम भुगतान घोटाले के अलावा अन्य भ्रष्टाचार के मामलों को रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है। नगर निगम के आयुक्त ने घोटाले में लिप्त तीन अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज कराने की संस्तुति की गई है मगर अभी तक सरकार ने तक सुनवाई नहीं की है।
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