Chandigarh
ट्यूबवेल कनेक्शन देने की नई नीति में लागू किये जाने वाले तुगलकी फरमान को वापस ले सरकार : डॉ सुशील गुप्ता
Chandigarh Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 10 जून। राज्य सभा सांसद एवं आम आदमी पार्टी हरियाणा के सहप्रभारी डॉ सुशील गुप्ता ने कहा है कि भाजपा जेजेपी गठबंधन सरकार हरियाणा में ट्यूबवेल कनेक्शन देने की नई नीति में लागू किये जाने वाले तुगलकी फरमान को वापस ले। उन्होंने नई नीति पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा की नई नीति के मुताबिक अगर किसान की भूमि नहरी कमांड एरिया में आती है तो उसे कोई भी बिजली का कनेक्शन नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा कनेक्शन लेने के लिए सिंचाई विभाग से एनओसी लेनी भी जरूरी होगी। कैनाल एंड ड्रेनेज एक्ट के मुताबिक अगर किसान की भूमि किसी भी रजवाहे, मोगे, स्टेट ट्यूबवेल से फ्लो लिफ्ट सिंचाई के माध्यम से कमांड एरिया में आती है तो ट्यूबवेल कनेक्शन नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा नए आदेशों से अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, जींद, हिसार, महेंद्रगढ़, मेवात तथा गुरुग्राम में बिजली के कनेक्शन नाम मात्र ही मिलेंगे,क्योंकि इन जिलों में 80 से 90 फीसदी इलाका नहरी सिंचाई के फ्लो या लिफ्ट कमांड एरिया में आता है। इस निर्णय से सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तरी हरियाणा और दक्षिणी हरियाणा के किसान होंगे।
राज्य सभा सांसद ने कहा कि बिजली निगम द्वारा सिंचाई विभाग से एनओसी अनिवार्य करने और कमांड कमांड एरिया में ट्यूबवेल कनेक्शन ने देने की निर्णय लेना बेहद निंदनीय है और सरकार की किसान विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। फैसले का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा जेजेपी गठबंधन सरकार किसान को कैसे आर्थिक रूप से कमजोर कर बर्बाद किया जाए उसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। इसका जीता जागता उदाहरण बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला का वह ताजा ब्यान है जिसमें उन्होंने कहा है कि जहां 100 फिट से नीचे भूजल है,वहां किसानों को ड्रिप सिस्टम लगवाना जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में पानी 100 फिट नीचे है। जिसके लिए किसान इसे लगाने के लिए भारी भरकम रकम कहाँ से लायेंगें ? उन्होंने कहा कि बिजली निगम ने 2019 में भी किसानों को लूटने और जेबें भरने के लिए एक ही वेंडर से सांठगांठ कर ट्यूबवेल कनेक्शन के लिए समर्सिबल मोटर अनिवार्य कर दी थी। उन्होंने कहा नए कनेक्शन के लिए लगभग 85000 किसानों ने आवेदन किया हुआ है जिसमें से अब तक सिर्फ 9000 ही ट्यूबवेल कनेक्शन दिए गए हैं। कई किसानों को जमानत राशि जमा किए भी लगभग 7 साल से ऊपर हो गए हैं। ये किसान इस उम्मीद में थे कि उन्हें भी अब ट्यूबवेल के लिए बिजली का कनेक्शन मिलेगा लेकिन बिजली निगम के इस तुगलकी फरमान ने किसानों की उम्मीद पर पानी फेर दिया है। उन्होंने कहा की नई नीति में एक यह शर्त भी लगा दी है कि भविष्य में 30 बीएचपी से अधिक का कनेक्शन नहीं दिया जाएगा। दक्षिणी हरियाणा में व पूरे अहीरवाल में खास तौर पर भिवानी दादरी महेंद्रगढ़ रेवाड़ी मेवात गुड़गांव में तो भूजल स्तर इतना गहरा है कि अधिकांश मोटर 40 या 50 बीएचपी की लगानी होती हैं।
उन्होंने कहा की सरकार कोरोना काल में किसानों के साथ नए नए प्रयोग करने की बजाय उन्हें राहत देने की योजना बनाएं किसानों को बिजली और ट्यूबवेल कनेक्शन लेने में लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच किसानों पर एक ओर नई शर्त थोपी जा रही है कि उन्हीं किसानों को कनेक्शन दिया जाएगा जो सिंचाई विभाग से एनओसी लेकर आएंगे। ऐसे में जिन किसानों ने कई साल पहले सिक्योरिटी जमा कराई थी उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें। उन्होंने कहा सरकार कनेक्शन के नाम पर किसानों से करोड़ों रुपयों की वसूली कर रही है। कई साल पहले किसानों ने कनेक्शन के लिए सिक्योरिटी जमा कराई थी इसके अलावा उन्होंने नगम द्वारा दिए गए एस्टीमेट की राशि भी जमा करा दी है लेकिन उन्हें अभी तक कनेक्शन नहीं मिले और उन्हें टरकाने के लिए बार-बार नियमों और मानकों में बदलाव किए जा रहे हैं। कभी बिजली मोटर के मांगों में फेरबदल कर दिया जाता है तो कभी भूजल स्तर के नियमों को बदल दिया जाता है यहां तक की किसानों को अपनी मर्जी की मोटर लेने की भी आजादी नहीं है। उन्होंने कहा सरकार द्वारा बताई गई मोटर खरीदने और निर्धारित फीस जमा कराने के बाद भी किसानों को बार-बार चक्कर काटने पड़ रहे हैं लेकिन फिर भी उन्हें कनेक्शन नहीं मिलता। महामारी और मंदी के दौर में आम जनता और किसान आर्थिक मदद, बिजली बिलों में राहत और नियमों में रियायतों की उम्मीद कर रही है लेकिन सरकार इसके उलट लगातार पाबंदियां और आर्थिक बोझ डालने में लगी है।
उन्होंने सरकार द्वारा खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई बढ़ोतरी को किसानों के साथ भद्दा मजाक बताया और कहा कि जिस तरह देश में बढ़ती महंगाई ने लोगों का जीना हराम कर रखा है उसके हिसाब से यह बढ़ोतरी बहुत ही कम है।