Faridabad NCR
जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में शिक्षकों को शोध परियोजनाओं के लिए दिया अनुदान
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 31 जुलाई। विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं को प्रेरित करने और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने अनुसंधान नीति के तहत नवनियुक्त संकाय सदस्यों के नौ शोध प्रस्तावों को स्वीकृति किया है तथा शोध के लिए प्रारंभिक अनुदान के रूप में 18 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया है। अनुसंधान नीति के अंतर्गत विश्वविद्यालय संकाय सदस्यों की चयनित परियोजनाओं के लिए अधिकतम 2 लाख रुपये प्रदान करता है।
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने अनुसंधान एवं विकास अनुभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में चयनित संकाय सदस्यों को अनुदान राशि वितरण किया। कार्यक्रम का समन्वय डिप्टी डीन डॉ. राजीव साहा द्वारा किया गया था। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. एस. के गर्ग एवं अन्य डीन भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय विभिन्न अनुसंधान पहलों को प्रोत्साहित करके शोध संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान प्रोत्साहन बोर्ड का गठन किया गया है। नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों के साथ संबंध को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय ने अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ावा देने और उसमें सुधार करने के लिए रिसर्च अवार्ड्स की शुरुआत की है। उन्होंने आशा जताई की कि इन पहलों से विश्वविद्यालय में अनुसंधान संस्कृति को प्रोत्साहन मिलेगा और शोध कार्य की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
डीन (आरएंडडी) प्रो. राजेश कुमार आहूजा ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2016 में अनुसंधान प्रस्तावों के लिए अनुदान देने की शुरूआत की गई थी, और अब तक संकाय सदस्यों के शोध प्रस्तावों के लिए 50 लाख रुपये तक अनुदान दिया जा चुका है। उन्होंने अनुदान प्राप्त करने वाले संकाय सदस्यों को बधाई दी।
जिन संकाय सदस्यों को शोध प्रस्तावों के लिए अनुदान प्राप्त हुआ, उनमें रसायन विज्ञान विभाग से डॉ. रवि कुमार, डॉ. अनुराग प्रकाश और डॉ. विनोद कुमार, भौतिकी विभाग से डॉ. अरुण कुमार, डॉ. प्रमोद कुमार और डॉ. योगिता, पर्यावरण विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग से डॉ. सोमवीर बाजार व डॉ. नवीन कटारिया और सिविल इंजीनियरिंग विभाग से डॉ विशाल पुरी शामिल हैं।