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Faridabad NCR

यूनिवर्सल अस्पताल द्वारा जीवन रक्षक ट्रेनिंग

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 5 फरवरी। यूनिवर्सल अस्पताल तथा यूनिवर्सल केयर  के माध्यम से आपातकालीन स्थिति के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए तथा जीवन रक्षक बीएलएस (बेसिक लाइफ सपोर्ट) प्रशिक्षण के लिए छात्रों और आम लोगो के लिए ट्रेनिंग प्रात: 9 से सायं 8 बजे तक 34वें सूरजकुंड मेला में सिखाई जाती है।
एक संवाददाता सम्मेलन मे अस्पताल के प्रबंध निदेशक डा. शैलेश जैन ने कहा की इस कार्यक्रम में लगभग 1,00000 लोगों को मुफ्त प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। मरीजों को निकटतम अस्पताल ले जाने से पहले आपातकाल के समय किया गया इलाज मरीज की जान बचाने में मदद करेगा।
डॉ. शैलेश जैन ने कहा की प्रशिक्षण कार्यक्रम को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के हिस्से के रूप मे आयोजित किया जा रहा है प्राप्त प्रशिक्षण में एक प्रमाणपत्र दिया जायेगा। पहले से ही पुलिस और अग्निशमन कर्मियों को बलएलएस में प्रशिक्षित किया गया था। डॉ. रीति अग्रवाल, डॉ. गजेंदर और डॉ. मनीष उपस्थित थे।
डॉ. शैलेश जैन ने कहा की अगर मरीज की साँस रुक गई हो तो किस तरीके से मरीज को कृत्रिम साँस दी जा सकती है। ट्रैंनिंग पुलिस तथा अफसरो को बेसिक लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग देने की बीड़ा उठाया है। अगर मरीज बेहोश है तो उसको इस तरीके से इस अवस्था के दौरान मरीज की सहायता की जा सकती है। इस तकनीक को आसानी से सीखा जा सकता है। अगर आपदा के वक्त इस तकनीक की सहायता ले तो मरीज को नया जीवन दान दिया जा सकता है यह ट्रैंनिंग हर घंटे मे आयोजित की जा रही है। डॉ. शैलेश जैन के अनुसार एक चरण मे 25-30 लोगों को ट्रैंनिंग दी जा रही है।
डॉ. शैलेश जैन ने वताया की अगर इस तकनीक को लोग अगर सीख ले तो 60 फीसद मरीज की जान बचाई जा सकती है। यह तकनीक यूनिवर्सल अस्पताल में भी सिखाई जाती है। यूनिवर्सल हॉस्पिटल इसका सर्टिफिकेट भी उपलब्ध करता है। यूनिवर्सल केयर एम्बुलेंस द्वारा हिंदुस्तान मे कही भी कभी भी एम्बुलेंस 8800128128 पर फोन कर मंगाई जा सकती है।
मरीज को उठाने की कौशीश करें –
जब आप किसी व्यक्ति को अचानक आपात स्थिति में मिलते हैं, तो आपको पीडि़त को जागने करने का प्रयास करना चाहिए। यदि पीडि़त साँस नहीं ले रहा है, तो तत्काल एम्बुलेंस कॉल (पैन इंडिया के लिए) 8800128128 से संपर्क करें।
छाती दवाने शुरू करें-
अपनी पहली इंटरलॉकिंग उंगलियों से छाती पर अपना हाथ रखें और फिर 100 पम्प की दर से लगभग दो इंच तक छाती को नीचे दबाएं। छाती को कम से कम 100 मिनट प्रति मिनट धकेलना शुरू करें याद रखें, आपको इस दर पर एक वार मे 30 संपीडन करने की आवश्यकता है।
बचाव शुरू करें-
मरीज के वायुमार्ग को खोलने के लिए सिर-झुकाव, ठोड़ी-लिफ्ट विधि का उपयोग करें। अब मरीज की नाक को दबाए और अपने मुंह से अपने मुंह पर लगाओ। यदि उपलब्ध हो, तो आप एक सीपीआर मुखौटा का उपयोग कर सकते हैं। छाती को बनाए रखने के लिए मरीज को पर्याप्त श्वास दे। सांस ना आने तक एक बार फिर से बचाव की प्रक्रिया को दोहराएं।
छाती दवना और बचाव श्वास दोहराएँ-
30 बार छाती दवना इसी तरह आप पहले भी कर चुके थे और आपको पहले की प्रक्रिया की तरह ही दो सांस दीजिए हैं।
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