Connect with us

Faridabad NCR

सूरजकुंड मेला में आए उड़ीसा के नेशनल अवार्डी शिल्पकार, दुर्घटना से दिव्यांग हुए पंकज कुमार ने चांदी की तारकसी कला को दिलाई पहचान

Published

on

Spread the love

Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 12 फरवरी। 37वें सूरजकुंड अंतरराष्टï्रीय शिल्प मेला में स्टॉल नंबर-1066 उड़ीसा से आए शिल्पकार पंकज कुमार को अलॉट की गई है। इस स्टॉल पर चांदी की नक्कासी करके बनाए गए विभिन्न आइटम पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। उड़ीसा के शिल्पकार पंकज कुमार शाहू वर्ष 1995 में राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा से नेशनल अवॉर्ड प्राप्त कर चुके हैं। नेशनल अवॉर्ड प्राप्त कर चुके पंकज कुमार को एक दुर्घटना ने दिव्यांग बना दिया। इसके पश्चात पंकज कुमार ने अपनी दिव्यांगता को अपनी ढाल बनाया। महज एक हाथ से ही वे फिलिगिरी सिल्वर आर्ट (चांदी की तारकसी) के जरिए अपने हुनर को निखारते रहे। इसी के बल पर उन्होंने कलाश्री और प्रधानमंत्री से विश्वकर्मा गुरू अवॉर्ड जैसा सम्मान भी पाने में कामयाबी हासिल की। पंकज कुमार एक सडक़ दुर्घटना में अपने बाएं हाथ की हथेली गंवा बैठे। उन्होंने अपने एक हाथ से ही हुनर को नया आकार देकर चांदी की तारकसी कला को देश के कोने कोने तक पहुंचाकर पहचान दिलाई। पंकज कुमार शाहू को उड़ीसा हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट प्रमोशन काउंसिल का सदस्य बनाया गया है, अब वे उड़ीसा की 49 कलाओं के प्रमोशन पर भी कार्य कर रहे हंै।

शिल्पकार पंकज कुमार शाहू ने जानकारी देते हुए बताया कि वह चांदी के बिस्किट खरीदकर उसे पिघलाते हंै। इसके पश्चात चिमटी की सहायता से खींचकर जरूरत के अनुसार तार बनाते हैं। फिर उसे मोडक़र नई-नई डिजाइन तैयार करते है। पंकज कुमार द्वारा बनाए गए विभिन्न डिजाइनों में ईयर रिंग, नेकलेस, पैंडेट, सजावट के आइटम, कृष्ण अर्जुन रथ, नाव, झुमका, भगवान के मुकुट आदि उत्पाद उनके स्टॉल पर उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि चांदी तारकसी कला की सबसे अधिक मांग दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बैंगलूरू शहर में है।
पंकज कुमार ने बताया कि वे चांदी तारकसी कला का काम पिछले तीस वर्षों से करते आ रहे हैं। वर्ष 2018 में उड़ीसा में हुए हॉकी वल्र्ड कप में उनके द्वारा बनाई गई चांदी की ट्रॉफी सभी खिलाडिय़ों को दी जा चुकी है। वर्ष 1999 में हुई एक सडक़ दुर्घटना में उन्हें अपने बाएं हाथ की हथेली गंवानी पड़ी। अब वह एक हाथ से ही अपने हुनर को आयाम दे रहे हैं। वर्ष 2022 में उन्हें कलाश्री अवॉर्ड और वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा गुरू अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। पंकज कुमार वर्ष 2007 में चांदी तारकसी कला को प्रमोट करने के लिए लंदन भी जा चुके हैं।

पंकज कुमार द्वारा दो किलोग्राम चांदी से बनाई गई भगवान की छतरी की नक्काशी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इसकी कीमत करीब तीन लाख रुपए तक है। एक दर्जन से अधिक अवॉर्ड प्राप्त करने वाले शिल्पकार पंकज कुमार शाहू उड़ीसा की 49 कलाओं को प्रमोट करने पर कार्य कर रहे हैं। उड़ीसा को सिल्वर फिलिगरी आर्ट हब बनाना पंकज कुमार का लक्ष्य है।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2024 | www.hindustanabtak.com