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Faridabad NCR

डीएवी शताब्दी महाविद्यालय में उद्यमिता विषय पर कार्यशाला का आयोजन

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद में महाविद्यालय के नॉलेज ग्रुप एवं करियर तथा प्लेसमेंट सेल के तत्वाधान से कॉलेज के ही IQAC HALL में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी एवं साथ ही उद्यमिता के क्षेत्र में भी अनंत सम्भावनाओं पर एक द्विसत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

यह सर्वविदित है कि सिविल सेवा प्रतियोगी परीक्षा जिसके द्वारा प्रतिवर्ष IAS, IPS, IFS एवं अन्य अलाइड सेवाओं के लिए UPSC द्वारा चयन किया जाता है। इस कार्यशाला में सिविल सेवा (Civil Services) प्रतियोगिता परीक्षा एवं उसकी विस्तृत तैयारी सुनिश्चित करने हेतु जानकारी दी गयी। इसके अलावा छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता (entrepreneurship) तथा स्टार्ट अप (startup) के लिए भी एक्सपर्ट्स के द्वारा जानकारी दी गयी। आरम्भ में कार्यक्रम के संयोजक डॉ नीरज सिंह ने कार्यशाला में उपस्थित सभी छात्र- छात्राओं, शिक्षकों का स्वागत किया और कार्यक्रम के रूपरेखा व उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के तौर पर आईं सुश्री आशा सैनी (सिविल सेवा कोचिंग तथा ट्रेनिंग एक्सपर्ट) एवं सुश्री अलका ओझा (सीनियर HR एग्जीक्यूटिव, जंबो कंसल्टेंट्स) का स्वागत किया और बताया कि ये महाविद्यालय के लिए गर्व का विषय है कि आशा सैनी तथा अलका ओझा दोनों पूर्व में इसी महाविद्यालय की मेधावी छात्राएं रह चुकी हैं। आशा सैनी ने पहले डी ए वी की छात्रा के रूप में भी अनेक प्रतियोगिताओं जैसे कि वाद विवाद, संभाषण, कविता पाठ, थिएटर इत्यादि में जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर अनेक बार पुरस्कृत हो चुकी हैं। कार्यक्रम के शुरुआत में कॉलेज की कार्यकारी प्राचार्या डॉ सविता भगत ने छात्र- छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के तकरीबन सभी राज्यों से युवा प्रतिवर्ष सिविल सेवा परीक्षाओं की तरफ आकर्षित होते हैं और आज भी सिविल सेवा का रुतबा और रुझान अन्य सभी प्रतियोगिताओं से भिन्न है। सीटें काफी कम होने और प्रतिभागी संख्या अधिक होने के कारण यह परीक्षा काफी कठिन मानी जाती है। इसीलिये युवाओं को शामिल होने से पहले या निर्णय लेने से पहले अच्छे से सोच – विचार कर लेना चाहिए। आपसी प्रतिस्पर्धा के कठिन दौर में काफी सुनियोजित ढंग से उन्हें इसकी तैयारी करनी होगी तथा जो युवा समय की मांग को समझते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू करना चाहते हैं उन सभी को अपने संसाधनों का उचित इस्तेमाल करते हुए अनुभवी मार्गदर्शन के साथ सुनियोजित ढंग से पढ़ाई करनी होगी तभी वे अपने इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। डी ए वी महाविद्यालय उनका मार्गदर्शन करता रहेगा और अपने छात्रों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी चाहे वो पुस्तकालय में इससे संबंधित पुस्तकें हो अथवा विशेष व्याख्यान हों, वह मुहय्या कराने में महाविद्यालय सदैव तत्पर रहेगा।

कार्यशाला के प्रथम सत्र में सुश्री अलका ओझा ने उद्यमिता से संबंधित संभावनाओं पर PPT के माध्यम से अपनी बात रखी। तत्पश्चात उन्होंने प्रश्नोत्तर सत्र भी किया जिसमें छात्रों की काफी जिज्ञासा का समाधान किया गया छात्रों का इस सत्र के प्रति काफी उत्साह दिखा।

कार्यशाला के दूसरे सत्र में सुश्री आशा सैनी ने सिविल सेवा प्रतियोगी परीक्षा के लिए आवेदन प्रक्रिया से लेकर उसके लिए वैकल्पिक विषयों के चयन के साथ-साथ  तैयारी पर भी विस्तारपूर्वक अपने विचार रखे। बड़ी बारीकी से उन्होंने शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा, आरक्षण, प्रयासों की संख्या जैसे विषयों पर न केवल जानकारी दी बल्कि सभी नियमों को बारीकी से समझाया। उन्होंने सिविल सेवा के साथ जुड़े सामाजिक अपेक्षाओं तथा ज़िम्मेदारियों की भी चर्चा की। उन्होंने इस परीक्षा की तैयारी के लिए जरूरी दिशा निर्देशों की भी चर्चा की और तैयारी के लिए समसामयिकी, समाचार पत्र अवलोकन, पुस्तकों का चयन, सिविल सेवा प्रतियोगी परीक्षा पत्रिकाओं का चयन एवं पठन इत्यादि का उल्लेख किया।

कार्यक्रम के समापन के समय संयोजक डॉ नीरज सिंह ने सुश्री आशा सैनी तथा सुश्री अलका ओझा को इस कार्यशाला में बतौर रिसोर्स पर्सन शामिल होने पर उनका आभार व्यक्त किया तथा आगामी वर्षों के संभावित प्रतिभागियों/छात्रों से आह्वान भी किया कि वे भविष्य में इस परीक्षा में उतीर्ण होकर देश की प्रगति में अपना योगदान दें तथा DAV महाविद्यालय को भी गौरवान्वित करें। इस कार्यक्रम में लगभग 150 छात्र – छात्राओं एवं कॉलेज के अनेक शिक्षकों ने भी हिस्सा लिया। इस अवसर पर कॉलेज की डीन आर्ट्स डॉ विजयवंती ने भी सभी छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और आशीर्वचन कहे। अंत में डॉ नीरज ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि इस द्विसत्रीय संगोष्ठी के कुशल संचालन में महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापकों एवं नॉन टीचिंग स्टाफ ने अपना भरपूर योगदान दिया है और कॉलेज के छात्रों को इसमें शामिल होने और अनुशासन का पालन करने के

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