Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : गुरु तेग बहादुर जी 400वें प्रकाशोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में, डी.जी.एच.ई हरियाणा के सहयोग से डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद ने ’गुरु तेग बहादुर – हिंद की चादर’ विषय पर वेबिनार का आयोजन करवाया। वेबिनार की शुरुआत गुरुवाणी के साथ हुई। वेबिनार सह-संयोजक मैडम राजविंदर कौर ने वेबिनार की अध्यक्षता कर रहे गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर के पूर्व कुलाधिपति डॉ. सुरेंद्रपाल सिंह जी व् मुख्या वक्ता देशबंधु महाविद्यालय के पंजाबी विभाग में कार्यरत डॉ. मुनीश कुमार से सभी का परिचय करवाया। महाविद्यालय प्रधानाचार्या डॉ. सविता भगत ने विशिष्ट वक्ताओं व् सभी प्रतिभागियों के स्वागत वक्तव्य के साथ वेबिनार की आधारशिला रखी। डॉ. भगत ने सिख धर्म की सेवा भावना, कोरोना महामारी में सिख समुदाय द्वारा दुनियाभर में की गई सेवा व् समाज कल्याण में गुरुवाणी के महत्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. मुनीश कुमार जी ने गुरु तेग बहादुर के बचपन से लेकर औरंगजेब द्वारा हिन्दुओं को जबरदस्ती मुस्लिम बनाये जाने के दमनचक्र के खिलाफ जनजागरण व् दिए गए बलिदान तक के जीवन के प्रसंगों का वर्णन किया। गुरु तेग बहादुर जी कैसे गुरु के स्वीकारे जाते हैं उस घटनाक्रम को एक रोचक प्रसंग के माध्यम से प्रस्तुत किया। गुरु तेग बहादुर जी जब औरंगजेब के खिलाफ जब अपनी आवाज बुलंद करते हैं तो उनकी रोपड़ से आगरा तक की यात्रा के दौरान उनके द्वारा किये गए जनकल्याण के कार्यों को इंगित किया। कैसे गुरु जी ने हिन्दुओं को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया।
डॉ. सुरेंद्रपाल सिंह जी गुरु तेग बहादुर जी द्वारा मानव सेवा को ही श्रेष्ठतम सेवा बताना व् सेवा के लिए बलिदान हो जाने की बात को सर्वोपरी सिद्ध करने के लिए स्वयं के प्राणों की दी गई आहुति के बारे में बताया। जिस जनेऊ प्रथा को गुरु नानक देव जी ने की थी मनाही, उसी जनेऊ को बचाने के लिए कैसे गुरु तेग बहादुर जी ने अपना बलिदान दिया। उन्होंने स्पस्ट किया की गुरु तेग बहादुर जी ने कहा था की जो हमें अपनी ताकत के बल पर झुकना चाहे, उसे यह बताना और अहसास करवाना जरूरी है कि हम उसकी ताकत से नहीं डरते। गुरु जी की इसी बात को प्रमाणित करने के लिए पहले गुरु जी के साथियों ने पवन गुरु नाम ‘श्री वाहे गुरु – श्री वाहे गुरु’ कहते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए और बाद में स्वयं गुरु जी ने अपना सर कलम करवाना पसंद किया। डॉ. सुरेंद्रपाल सिंह जी ने डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय की प्रधानाचार्या एवं वेबिनार संरक्षक डॉ. सविता भगत जी द्वारा चलाई जा रही वेबिनार श्रृंखला की भी अति प्रशंसा की।
अंत में वेबिनार संयोजक डॉ. मीनाक्षी हुडा ने सभी वक्ताओं व् प्रतिभागियों को इस संगोष्ठी का हिस्सा बनने पर उनका आभार व्यक्त किया। प्रतिभागियों ने जूम प्लेटफॉर्म व् फेसबुक पलटफोर्म के माध्यम से इसका लाइव प्रसारण देखा।