Connect with us

Faridabad NCR

दुनिया भर में धुम मचाने को तैयार हुआ बंचारी लोक नृत्य का नया फार्मेट : राज नेहरू

Published

on

Spread the love

Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj :15 फरवरी। श्री विश्वकर्मा कौशल विकास विश्वविद्यालय दूधौला के कुलपति राज नेहरू ने कहा कि एक नगाड़े और झांझ के साथ लुप्तप्राय होती जा रही बंचारी की लोक कला को सहेजने के लिए हमने एक नया प्रयास किया है। बंचारी गांव जाकर हमने वहां के 800 लोक गीतों का एक लोक ग्रंथ तैयार किया है। इन लोक गीतों से विश्वविद्यालय में एक वर्ष का  कोर्स तैयार किया और अब 50 बच्चे इस कोर्स को पूरा कर बंचारी के इस संगीत से पूरी दुनिया में धूम मचाने को तैयार हैं। श्री नेहरू शनिवार को सूरजकुंड मेला परिसर स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
श्री राज नेहरू ने कहा कि हम संगीत के जरिए देशों की सीमाएं तोड़ रहे हैं और दिलों को जोडऩे का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के समय से चली आ रही इस बंचारी लोक कला पर अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया था। हमने एक वर्ष का जो कोर्स तैयार किया, उसमें बंचारी के इन कलाकारों को शास्त्रीय संगीत, आधुनिक वाद्य यंत्रों और संगीत से जुड़़ी कई अन्य बारीकियां सिखाई। इसका उद्देश्य इनके संगीत को विदेशों और बड़े कार्यक्रमों में प्रस्तुती का ढंग सिखाया। उन्होंने बताया कि सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में इन कलाकारों ने जब युगांड़ा के ड्रम के साथ अपनी प्रस्तुती दी तो कला व कलाकारों का नया रूप निखर कर सामने आया।
पत्रकारों से बातचीत में श्री नेहरू ने कहा कि बंचारी के इन कलाकारों को पहले 400 से 500 रुपये मिलते थे, लेकिन अब इन्हें प्रतिदिन एक हजार से 1500 रुपये मेहनताना मिल रहा है, जिस बंचारी को कोई नहीं पूछता था आज उसी में आजीविका कमाने का मौका मिला है। गुजरात में यह एक सप्ताह अपनी प्रस्तुति देकर आए। गीता जयंती महोत्सव हो या बड़े आयोजन अब इनकी मांग पहले से ज्यादा है।
विश्विद्यालय की अन्य उपलबिधयों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि विश्विद्यालय ने पीजी डिप्लोमा इन एयरोस्पेस शुरू किया और फिलहाल हमारे 30 बच्चे बैंगलुरू में पी-3 एयरोस्पेस प्रोग्राम के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय दूधौला देश का ऐसा पहला विश्वविद्यालय बन गया है, जहां स्किल स्कूल बनेगा, जो बच्चे आठवीं कक्षा के बाद शिक्षित नहीं हो पाते वह यहां डिजाईन किए गए इलैक्ट्रीशियन, प्लम्बर सहित विभिन्न प्रकार के कोर्स कर रोजगार व स्वरोजगार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम अभी तक 100 अलग-अलग कंपनियों से जुड़ चुके हैं और आगामी दो वर्षों में 500 कंपनियों से जुडऩे का लक्ष्य है। उद्योगों में हरियाणा के बच्चों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर देना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि 2017 से 2019 तक जितने भी बच्चे यूनिवर्सिटी से कोर्स कर निकले उनमें से 75 प्रतिशत नौकरी कर रहे हैं। बाकी 25 प्रतिशत में कुछ ने स्वरोजगार शुरू किया तो कुछ उच्च शिक्षा में आ गए। उन्होंने कहा कि बीकानेरवाला के साथ मिलकर डेढ़ साल का डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किया गया है।
इस अवसर पर उनके साथ विश्वविद्यालय के बंचारी विभाग के कर्नल डा. एस.एस. मलिक, डीन प्रोफेसर डा. ज्योति राणा भी मौजूद रहे।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2024 | www.hindustanabtak.com