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कोविड-19 की महामारी में ब्रेन और और स्पाइन की इमरजंसी होने पर क्या करें

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New Delhi Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : कोविड-19 की महामारी के दौरान कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए लोग घरों में ही रह रहे हैं और बहुत जरूरी होने पर ही घरों से निकल रहे हैं। ज्यादा समय घर में ही बीता रहे हैं। कई लोग स्वास्थ्य सबंधी दिक्कतें होने पर भी अस्पताल जाने से कतरा रहे हैं। कुछ समय पहले तक हालांकि कई अस्पतालों में उन मरीजों को अस्पतालों को अपना इलाज कराने में दिक्कत हो रही है जिन्हें कोरोनावायरस का संक्रमण नहीं था। हालांकि अब स्थितियों में काफी बदलाव हुआ है और लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के बाद ज्यादातर अस्पतालों में सभी तरह के मरीजों का इलाज होने लगा है और अब पहले की तुलना में अधिक संख्या में मरीज अस्पताल आ रहे हैं। फिर भी ऐसे काफी मरीज हैं जो इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति में हैं कि उन्हें अपनी बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल जाना चाहिए या घर पर ही रहकर इलाज कराना चाहिए।

नई दिल्ली स्थित फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट इंस्टीच्यूट तथा नौएडा स्थित फोर्टिस हास्पीटल के न्यूरोसर्जरी के निदेशक डॉ़ राहुल गुप्ता बता रहे हैं कि ब्रेन एवं स्पाइन के मरीजों को किस स्थिति में अस्पताल जाना चाहिए और किस स्थिति में घर में रहकर टेलीफोन या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना इलाज करना चाहिए।

डा़ राहुल गुप्ता बताते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन हेमरेज जैसी न्यूरो या स्पाइन से संबंधित ऐसी कई ऐसी समस्याएं है जिसके कारण मरीज को आपात स्थिति में किसी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो सकती है कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिनमें टेलीमेडिसिन की मदद ली जा सकती है।

डा़ राहुल गुप्ता के अनुसार ब्रेन एवं स्पाइन की जिन गंभीर समस्याओं में मरीजों को तत्काल सभी सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी होता है वे इस प्रकार से हैं  ।

अचानक तेज सिरदर्द:

यह ब्रेन हेमरेज का लक्षण हो सकता है। दवाइयों से इसमें फायदा नहीं हो सकता है। इसके होने पर उल्टी,  अंगों में कमजोरी या बेहोशी हो सकती है। यह अक्सर रक्तचाप बढ़ने पर या किसी एक कमजोर रक्त वाहिका के फटने के कारण होता है। अचानक सिर दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं और सही कारण का पता लगाने के लिए एंजियोग्राफी आवश्यक है। अगर रक्त नलिका फट गई हो या मस्तिष्क में रक्त का क्लॉट (हेमेटोमा) बन गया हो तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में समय गवाए बगैर मरीज को आधुनिक सुविधाओं से युक्त अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए।

लगातार सिरदर्द

यह माइग्रेन, तनाव वाले सिरदर्द, ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन हेमरेज या मस्तिष्क में संक्रमण के कारण हो सकता है। माइग्रेन में, सिरदर्द आमतौर पर एक तरफ होता है। इसमें मतली और चक्कर आने जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। माइग्रेन होने पर उसकी जांच एवं उपचार जरूरी है। तनाव के कारण होने वाला सिरदर्द आमतौर पर शाम को होता है और इसमें एनाल्जेसिक और नींद लेने पर राहत मिलती है। सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर के कारण भी हो सकता है जिसमें उल्टी, देखने या सुनने में दिक्कत, नींद नहीं आने, व्यवहार में बदलाव, अंगों में कमजोरी, चेहरे में सुन्नपन आने जैसी समस्या भी हो सकती है। संक्रमण के कारण होने वाले सिर दर्द में गर्दन में अकड़न, बुखार, अस्वस्थता या  उनींदापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं के होने पर आप किसी योग्य  न्यूरो सर्जन से टेलीफोन या वीडियो कांफ्रेंसिग परामर्श लेकर उनके निर्देश के अनुसार आगे का उपचार कर सकते हैं। इसमें एमआर आई, सीटी स्कैन या एंजियोग्राफी की आवश्यकता हो सकती है।

बेहोशी या दौरा पडना

कोई भी व्यक्ति किसी भी उम्र में दौरे या मिर्गी का शिकार हो सकता है। यह बुखार, ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन हेमरेज, मस्तिष्क संक्रमण या सिस्टमेटिक बीमारी या किसी अज्ञात कारण से हो सकता है। इसमें रक्त जांच, ईईजी और मस्तिष्क के एमआरआई सहित कई जांच की आवश्यकता होती है। दौरे, बेहोशी या मिर्गी जैसी स्थिति आमतौर पर 10.20 मिनट में खत्म हो जाती है और व्यक्ति सामान्य हो जाता है। दौरा पडने पर मरीज को फर्श पर या बिस्तर पर इस तरह से लिटाना चाहिए कि उसका मुंह नीचे की ओर हो। उसके कपड़े ढीले कर देने चाहिए, आसपास भीड़ नहीं लगानी चाहिए और यह कोशिश करनी चाहिए कि उसे चोट नहीं पहुंचे। हालांकि 99 प्रतिशत मामलों में दौरा अपने आप ठीक हो जाता है। जब व्यक्ति सामान्य हो जाए (आमतौर पर 20.30 मिनट के बाद), तो उसे परामर्श के लिए अस्पताल ले जाया जा सकता है। अगर बार-बार अनियंत्रित दौरे (मिर्गी) पड़ते हों तो तुरंत एम्बुलेंस मंगवाकर मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। कुछ रिफ्रैक्टरी रोग में डाॅक्टर एंटी-एपिलेपटिक स्प्रे का उपयोग करने का सुझाव दे सकते हैं। किसी भी तरह का दौरा हो, डाॅक्टर से परामर्श आवश्यक है।

चेहरे या शरीर के किसी अंग या शरीर के आधे हिस्से में अचानक कमजोरी, या देखने एवं बोलने में बाधा पहुंचना (स्ट्रोक):

स्ट्रोक मेडिकल इमरजेंसी है और तत्काल चिकित्सकीय सहायता से इसे ठीक किया जा सकता है। आमतौर पर, स्ट्रोक होने पर सिरदर्द, उल्टी या बेहोशी जैसे लक्षण नहीं होते हैं। चलते समय लड़खड़ाकर गिर जाना भी स्ट्रोक के कारण हो सकता है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियों जैसे प्रिडिस्पोजिंग कारणों से भी यह हो सकता है। रोगी को तुरंत वैसे अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए जहां न्यूरो-कैथलैब में ‘मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी’ की सुविधा हो।

अचानक बेहोशी

यह बड़े पैमाने पर स्ट्रोक या अधिक मस्तिष्क रक्तस्राव के कारण हो सकता है। मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में कमी आने के कारण व्यक्ति अपनी चेतना खो सकता है। यह दौरे, मस्तिष्क के भीतर दवाब के बढ़ने या अचानक मानसिक आघात पड़ने का संकेत हो सकता है। ऐसे में रोगी को आराम से लिटा देना चाहिए, वहां भीड़ जमा नहीं होने देना चाहिए, मरीज के कपड़े को ढीला कर देना चाहिए, उसेे करवट के बल लिटाना चाहिए तथा उसे होश में लाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके साथ ही, रोगी को सुसज्जित अस्पताल में भर्ती कराने के लिए तत्काल एंबुलेंस मंगाना चाहिए।

गंभीर पीठ दर्द:

घर के काम करते समय अचानक झुकना या भारी वस्तु उठाना गंभीर पीठ दर्द का सामान्य कारण है। घर में गिरना, गलत तरीके से बैठकर काम करना, पहले से कमर दर्द या पीठ में कुछ विकृति (पैथोलाॅजिक कारण) से भी गंभीर पीठ दर्द हो सकता है। गंभीर पीठ दर्द में तत्काल राहत पाने के लिए बेड रेस्ट एवं एनाल्जेसिक की मदद ली जा सकती है। इसके अलावा गर्म या ठंडी सिकाई, एनाल्जेसिक जेल या फिजियोथेरेपी आदि की मदद ली जा सकती हैं। आमतौर पर कमर दर्द 2.3 दिनों में कम हो जाता है। यदि दर्द से राहत नहीं मिलती है और साथ ही साथ अंग की कमजोरी, सुन्नपन या पेशाब में समस्या भी हो तो तत्काल चिकित्सक से परामर्श करें। यह दर्द मामूली फ्रैक्चर, तीव्र डिस्क प्रोलैप्स, ट्यूमर, तपेदिक या हड्डी के हट जाने के कारण हो सकता है जिसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। पीठ दर्द होने पर टेली परामर्श एक अच्छा विकल्प है। कमर दर्द की रोकथाम के लिए उठने-बैठने के सही तौर- तरीके अपनाएं, नियमित रूप से व्यायाम करें तथा स्वस्थ आहार लें।

अंगों में कमजोरी या तंत्रिका संबंधी दिक्कत: अंगों या मूत्राशय में संवेदना में कमी या आंत संबंधी दिक्कतें नर्व या स्पाइनल कार्ड में कम्प्रेशन आने के कारण हो सकती है। यह मेडिकल इमरजेंसी है और मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए ताकि मरीज को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई हो सके। तत्काल एमआरआई या सीटी स्कैन कराना चाहिए ताकि अचानक आई कमजोरी के कारण का पता लगाया जा सके।

डा़ राहुल गुप्ता बताते हैं कि कई मरीज जो पहले से डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं लेकिन  कोविड-19 के कारण उन्हें दवाइयां मिलने में दिक्कत हो रही है उनके लिए टेली परामर्श सबसे अच्छा तरीका है। डॉक्टर को आॅनलाइन तरीकों से पिछली पर्ची को जरूर भेजें। इससे डॉक्टर को आपके लिए दवाइयां लिखने में मदद मिलेगी। अ गर आपकी समस्या और गंभीर हो गई है या समस्या बदल गई है, तो वीडियो या टेलीफोन के जरिए परामर्श लें। निर्धारित  जांच रिपोर्टें ई-मेल या व्हाट्सऐप से डाॅक्टर को भेजें। जो दवा सुझाई गई है उसे सही तरीके से लें। इसके बाद भी आपको अगर राहत नहीं मिले तो डॉक्टर से मिलें।

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