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संवाद भारतीय संस्कृति की मूल विशेषता : नरेंद्र ठाकुर

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 22 अक्टूबर। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी अधिकारों की जननी मानी जाती है। अगर भारतीय परिप्रेक्ष्य में बात की जाए तो यहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता न सिर्फ अधिकार है बल्कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता भी रही है।
ये विचार हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने बतौर मुख्य अतिथि जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा आयोजित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा भारतीय दृष्टि’ राष्ट्रीय संगोष्ठी में रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो॰ दिनेश कुमार ने की।
इस उपलक्ष में प्रो. कुठियाला द्वारा लिखित पुस्तक ‘संवाद का स्वराज’ का लोकार्पण भी किया गया। प्रभात प्रकाशक द्वारा प्रकाशित इस 184 पन्नों की पुस्तक में कुल 27 अध्याय है, जिसमें नारद पत्रकारिता, पत्रकारिता की भारतीय अवधारणा में संवाद का महत्व, समाज में मीडिया की भूमिका, भारतीय संस्कृति की समृद्धि में मीडिया की भूमिका, पत्रकारिता की चुनौतियां, मौजूदा परिदृश्य में मीडिया के स्वामित्व एवं समाज केन्द्रित मीडिया जैसे विषयों का विश्लेषण किया गया है।
प्रो. कुठियाला ने कहा कि अभिव्यक्ति केवल अधिकार नहीं, अपितु समग्र मानव संवाद है जो एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि लोकतंत्र एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
इससे पहले, कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुई। संचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी के सह प्राध्यापक डॉ॰ पवन सिंह मलिक ने कार्यक्रम का परिचय दिया तथा आए हुए अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रबुद्ध भारतीय चिंतक एवं वरिष्ठ समाजसेवी श्री नरेंद्र ठाकुर जी ने कहा कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति के पूरकता के संबंध को स्वीकार करते हुए बढ़ावा देने की आवश्यकता है, ताकि राष्ट्र लगातार प्रगति के रास्ते पर अग्रसर हो सके, समाज समावेशी बने एवं विश्व में भारतीय संविधान जो कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा हेतु प्रसिद्ध है, की गरिमा बरकरार रहे।
विशिष्ट वक्ता भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली के महानिदेशक प्रो. डॉ. संजय द्विवेदी जी  ने कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, यहाँ एक स्वतंत्र संस्कृति से ही संभव हो पाई है। भारतीय संस्कृति और दर्शन प्राकृतिक रूप से सहभागी है। यही समझते हुए ही भारत सरकार अधिक जन-उन्मुखी होकर कार्य करने में सफल रही है तथा कल्याणकारी राज्य की स्थापना संभव हो पाई है। इसने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ाया है।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो॰ बृजकिशोर कुठियाला द्वारा लिखित  ‘संवाद का स्वराज’ का भी लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव सुनील कुमार गर्ग जी ने आए हुए सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के संचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग के डीन प्रो.डॉ  अतुल मिश्रा सहित अन्य प्राध्यापक, छात्र सहित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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