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आनन्दोत्सव के रूप में मना स्वामी सुदर्शनाचार्य जी की जयंती एवं श्री सिद्धदाता आश्रम का स्थापना दिवस

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : श्री सिद्धदाता आश्रम के संस्थापक वैकुंठवासी स्वामी सुदर्शनाचार्य की जयंती एवं आश्रम का स्थापना दिवस आनन्दोत्सव के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर विशाल शोभायात्रा में हजारों की संख्या में महिलाओं ने मंगल कलश उठाए। वहीं जगदगुरु स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने वैकुंठवासी गुरु महाराज की अर्चना की।

उन्होंने कहा कि गुरु महाराज ने अपने ईष्ट से वचन लेने के बाद ही श्री सिद्धदाता आश्रम की स्थापना की। यहां आने वालों को अनंत काल तक धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती रहेगी। उन्होंने अनेक उदाहरणों के माध्यम से कहा कि गुरु अपने शिष्य की शूली की सजा शूल पर रोक देते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु महाराज भूत, भविष्य एवं वर्तमान को जान लेते थे और शिष्यों के जीवन के कष्टों को हर लेते थे। वह आज भी हमारे बीच विराजमान हैं और हमें उनकी कृपाओं का प्रत्यक्ष दर्शन हो रहा है।

इस अवसर पर गुरुदेव ने सदशिष्य पूर्व एसीपी वाईके शर्मा की पुस्तक श्रीमद भागवत सारपूर्ण चिंतन का लोकार्पण किया और भक्तों से इस वर्ष गुरुजी के चरित्र के प्रचार प्रसार पर काम करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि
गुरवचनों, गुरुदर से लोगों को जोडऩे का काम भी बड़ी सेवा में सम्मिलित है।

इस अवसर पर विशाल शोभायात्रा निकाली गई जिसमें हजारों की संख्या में सौभाग्यवती महिलाओं ने सिर पर मंगल कलश लेकर भागीदारी की। वहीं हाथों में संप्रदाय के झंडे लिए चल रहे सेवादार भी रोशनियों के बीच अद्भुत लग रहे
थे। बैंड बाजे, ताजे, नफीरी और पटाखों ने माहौल को अलौकिक बनाने में सहयोग किया। बड़ी संख्या में लगी छबीलोंं पर लोगों ने प्रसाद प्राप्त किया।

जयपुर से आए मशहूर गायक गुरुशिष्य लोकेश शर्मा ने साथियों के साथ सुमधुर गीत प्रस्तुत किए वहीं दिल्ली से आई मधुबन आर्ट समूह के कलाकारों के नृत्य भी समां बांधने में पीछे नहीं रहे।

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